Tuesday, May 10, 2016

बचपन दोबारा

 बचपन दोबारा

बच्चे जीवन में कितने रंग भर देते हैं। वो प्यारी सी मुस्कान, वो भोला भला चेहरा, वो अटेंशन पाने की कोशिश, वो बहुत सारे प्यार की फरमाइश। बच्चों के साथ ऐसे पलों में लगता ही नहीं किस भागदौड़ की ज़िन्दगी में जी रहे हैं।

पर उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा, पढ़ाई, व्यक्तिगत और सामाजिक विकास चिंता, ज़िन्दगी के दुसरे मुश्किल पहलु भी दिखा देती है।
पर ये ही तो ज़िन्दगी है।
अगर मातापिता एक बात याद रख सकें तो बच्चों के साथ वाला ये समय उनके लिए और भी फुल्फिल्लिंग हो जाता है। बात यही की बच्चे के साथ आप फिर से अपना बचपन जी सकते हैं। कुछ देर ही सही।

वो एक साल के बच्चे वाली निर्भरता और लाचारी।
वो दो साले के बच्चे वाली बेख़बरी और हंसी।
वो तीन साल के बच्चे वाली