एक टेड टॉक देखी। बहुत मार्मिक और अच्छी लगी। मुझे कुछ सीखने को मिला, इसलिए औरों को भी बता चाहता हूँ। उस टॉक पर लिखे एक लेख का हिंदी में अनुवाद किया है। विषय वस्तु, विचार, और कॉपीराइट सभी मूल लेखक के हैं।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
खुशी पर सबसे लंबे समय से चलने वाले अध्ययन के चार सबक
डेरिल शेन (आईडियाज़ संपादक - टेड )
Stocksy (Source: Original article)
शोधकर्ता और मनोचिकित्सक रॉबर्ट वाल्डिंगर द्वारा साझा एक सुखी, स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक, आंकड़ों पर आधारित सलाह
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम भविष्य में झाँक सकते तो देख पाते कि हमारे आज के फैसलों से क्या हमें आगे ख़ुशी, संतोष, और स्वास्थ्य मिलेगा। वैज्ञानिक अनुसंधान की दुनिया में इस विचार पर एक महत्त्वपूर्ण अध्ययन हुआ है - हार्वर्ड एडल्ट डेवलपमेंट स्टडी - एक अध्ययन जिसमें 724 लोगों के जीवन का पिछले 78 वर्षों से निरीक्षण किया जा रहा है और जो वयस्क जीवन पर चलने वाले सबसे लम्बे अध्ययनों में से एक है। जांचकर्ताओं ने इस ग्रुप का उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पेशेवर जीवन, उनकी दोस्ती, उनकी शादी, आदि के विषय में हर दो वर्ष में अध्ययन किया। और समय समय पर उनसे साक्षात्कार किये, मेडिकल जाँच, खून की जाँच, और मस्तिष्क के स्कैन किये।
इन लोगों के जीवन को यूँ करीब से देखने के कारण, शोधकर्ता ये देख पाए कि इनकी परिस्थितियाँ (circumstances) और विकल्प (choices) कैसे रहे और इनका उनके जीवन पर कैसा प्रभाव रहा। इस अध्ययन के निदेशक एंड प्रमुख अन्वेषक मनोचिकित्सक रोबर्ट वाल्डिंगर ने एक लोकप्रय टेड टॉक (
लिंक) में कुछ प्रमुख बातों (सबक) को बताया। वे कहते हैं, "हम 75 वर्षों से अपने निष्कर्षों को जर्नल लेखों में प्रकाशित कर रहे हैं, लेकिन वे काम लोग ही पढ़ पाते हैं। सरकार ने अनुसन्धान पर लाखों डॉलर का निवेश किया है, तो इसे गुप्त क्यों रखा जाए?"
उनकी टेड टॉक का सबसे महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष ये था - अच्छे रिश्ते हमें खुश और स्वस्थ रखते हैं और अकेलापन हमें मारता है। लेकिन ज़ाहिर है, इस अध्ययन से कई और ज़रूरी बातें सीखने को मिलती हैं - जिनमें से वाल्डिंगर ने चार सबसे महत्वपूर्ण बातों का ज़िक्र किया।
1. एक सुखी बचपन का प्रभाव जीवन पर बहुत लम्बे समय तक रहता है
बचपन में मातापिता के साथ मधुर सम्बन्ध होने से ये संकेत मिला की वयस्क होने पर आपके करीबी रिश्ते मधुर और अधिक सुरक्षित होंगे। एक खुशहाल बचपन दशकों तक अपना प्रभाव छोड़ने की शक्ति रखता है। और उससे ये अनुमान लगाया सकता है कि बुढ़ापे (80+) में आपके साथी के साथ आपके सम्बन्ध अधिक सुरक्षित होंगे और ये कि वयस्कता से बुढ़ापे तक आपके शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होगा। और ये सिर्फ मातापिता से जुड़ाव ही नहीं है: बचपन में कम से कम एक भाई या बहन के साथ करीबी रिश्ता संकेत करता है कि 50 वर्ष की उम्र में ये लोग उदासीनता/अवसाद से बचे रहेंगे।
2. लेकिन.. मुश्किल बचपन वाले लोग भी मध्य जीवन (Midlife) में अपनी स्थिति सुधार सकते हैं
जो लोग चुनौतीपूर्ण माहौल में बड़े हुए - जैसे अराजक परिवार या आर्थिक अनिश्चितता के साथ - वे अच्छे (भाग्यशाली) बचपन वाले लोगों के मुकाबले कम खुशहाली में बड़े हुए। लेकिन जब ये लोग मध्यम आयु (Middle Age - परिभाषा के अनुसार 50 -65 वर्ष की आयु) तक पहुँचे और अगली पीढ़ी की स्थापना और मार्गदर्शन (जिसे मनोवैज्ञानिक गेनेरेटिविटी - Generativity - कहते हैं) करने में रूचि ली, उन लोगों के मुकाबले अधिक सुखी और बेहतर समायोजित थे जिन्होंने ऐसा नहीं किया। और गेनेरेटिविटी स्वयं के माता या पिता होने पर निर्भर नहीं करती। जबकि लोग इसे (गेनेरेटिविटी) अपने बच्चों के पालन पोषण में विकसित कर सकते हैं, वे इसे काम या अन्य स्थितियों में भी प्रदर्शित कर सकते हैं जहाँ वे युवा वयस्कों को सलाह देते हैं।
3. ये सीखना की तनाव का अच्छी तरह से सामना कैसे करें, आजीवन फल देता है
हम सभी तनाव प्रबंधन और चिंता से राहत के तरीके विकसित करते हैं। वाल्डिंगर और उनकी टीम ने पाया कि कुछ तरीके अन्य के मुकाबले अधिक दीर्घकालिक लाभ पहुंचाते हैं।
ये तरीके अडेप्टिव कोपिंग मेथड्स (Adaptive coping methods) - यानि अनुकूल होकर तनाव से मुलाबला - कहलाते हैं। ऐसी जिन विधियों का अध्ययन किया गया, वे हैं:
उच्चतरण (Sublimation): (उदहारण: अगर आपको लगता लगता है की आपका नियोक्ता (employer) आपसे गलत व्यवहार करता है, तो आप एक ऐसा संगठन शुरू करते हैं जो कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा में मदद करता है);
परोपकारिता (Altruism): (अगर आप किसी लत के शिकार हैं और दूसरे लती लोगों के प्रायोजक (मददगार) बन कर नशे से दूर रहते हैं);
दमन (Suppression): (आप अपनी कंपनी में नौकरियों में हो रही कटौतियों से चिंतित हैं लेकिन जब तक अपने भविष्य के लिए कुछ योजना नहीं कर लेते तब तक उस चिंता पर ध्यान नहीं देते)
अन्य तरीके जिन्हें मेल-अडेप्टिव मेथड्स (Maladaptive coping methods) - यानी कु-अनुकूलित होकर तनाव से मुकाबला - कहते हैं, उनमें ये रणनीतियां शामिल हैं - इंकार (Denial); अभिनय (Acting out); या प्रक्षेपण (Projection)
हार्वर्ड शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने तनाव से निबटने के लिए अडेप्टिव तरीकों का इस्तेमाल किया, उनके अन्य लोगों से रिश्ते बेहतर थे। अडेप्टिव तरीकों के और भी फायदे दिखे: अन्य लोग उनके साथ आसानी से घुलमिल पाते थे, उनकी मदद करना चाहते थे, और इससे उन्हें सामाजिक समर्थन मिलता था। परिणामस्वरूप, उनके 60 और 70 वर्ष की आयु के दशक स्वास्थ्यपूर्ण बीतने के संकेत मिले। ये ही नहीं - मिडिल ऐज में अडेप्टिव तरीके इस्तेमाल करने वाले लोगों का मस्तिष्क भी अधिक उम्र तक तेज़ पाया गया।
4. दूसरों के साथ बिताया समय हमें जीवन के उतार चढ़ाव के घावों से बचता है
वाल्डिंगर ने बताया के इस अध्ययन की एक बड़ी शिक्षा है - "ये आपके रिश्तों की गुणवत्ता (Quality) है जो मायने रखती है।"
वैसे, शोधकर्ताओं ने पाया है की 'मात्रा' (Quantity) भी मायने रखती है। अध्ययन में निरीक्षित लोगों ने बीते जीवन के अनुभवों में से अधिकतर उस समय को अधिक सार्थक बताया जो उन्होंने दूसरों के साथ बिताया था और उन्हें जीवन के उन हिस्सों पर सर्वाधिक गर्व था। वे औरों के साथ समय बिता कर दिन प्रतिदिन खुश रहते थे। और विशेष रूप से, किसी साथी या पति या पत्नी के साथ बिताये समय ने उन्हें बढ़ती उम्र के शारीरिक कष्ट और बिमारियों से होने वाले अवसाद से बचाया।
आगे इस टेड टॉक में वाल्डिंगर ने इस शोध की कुछ कमी बतायी - जैसे वे सारे लोग श्वेत पुरुष थे और उनमें से बहुत कम ही अब जीवित हैं। ऐसे लम्बे चलने वाले शोध पर सरकारी अनुदान कम हो रहे हैं पर हार्वर्ड ने ऐसा अध्ययन 1300 बच्चों पर शुरू किया है जिनमें 51% महिलाएं हैं।