Wednesday, February 4, 2009

एक संत देखा आज (Oct 24, 2008)

संत कबीर की एक बात सुनी थी :
" कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये
ऎसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये "

कितना सूक्ष्म विचार है ये, कितना गहरा।

आज कॉलेज के cultural festival में शंकर - एहसान - लॉय आए थे गाने बजाने। खूब समा बांधा उन्होंने। भारत भर के कॉलेजों से आए हजारों बच्चे झूम रहे थे, नाच रहे थे। सब कितने खुश थे। एक घंटे के शो के बाद Rock-on fame फरहान अख्तर की surprise entry हुई। चारों ओर एक जादू सा फैलाने गया। फरहान अख्तर कुछ कहता, लोग खो जाते, एक मस्ती में, कुछ शायद समाधि में। लोग जितना झूम रहे थे, उस से ज्यादा झूमने लगे। जितने खुश थे, उस से ज्यादा खुश हो गए। हर चेहरा एक मुस्कान लिए, हर शरीर नाचने को बेताब।

पता नहीं फरहान अख्तर
ने कबीर की इस बात को सुना था या नहीं, लेकिन उसने इस बात को चरितार्थ कर के दिखाया आज। या शायद उस से ज्यादा कुछ किया। कुछ ऐसा किया की जीते जी ही सबको हंसाया, खुश किया।

संत फरहान??


(Oct 24, 2008)

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